एक माँ का इकलौता बेटा सीमा पर दुश्मनों से
लड़ रहा होता है.. उसे गोली लग
जाती है..उसकी आँखें मुंदने लगती है.. तभी उसे
अपनी बूढ़ी, अकेली माँ का ख्याल आता है..
-> वो माँ को ख़त लिखता है..क्या लिखता है
जरा गौर करें---
ऐ माँ किस मुंह से तुझको मैं,अपनी हालत
को बतलाऊँ,,
इतनी भी साँस नहीं बाकी, कि तुझे अलविदा
कह
पाऊँ,,
भारत माँ पर हथियार उठे, तो बेटा चुप न रह
पाया,,
जब तक थी साँस , नहीं आगे कोई भी दुश्मन
टिक
पाया,,
जाते जाते इक बात ,मेरे दिल में
थोड़ी सी चुभती हैं,,
कि देश का कर्ज किया पूरा, पर दूध का कर्ज
न
भर पाया,,
इक माँ की लाज बचाने में, इक माँ को दर्द न दे
जाऊँ,,
इतनी भी साँस नहीं बाकी, कि तुझे अलविदा
कह
पाऊँ,,
- > ख़त माँ को मिलता है.. वो उसे पढ़ती है
पर
एक आँसू आँख में नहीं लाती..
माँ क्या कहती है आप पढ़िए.. और उस महान,
बलिदानी माँ के लिए एक share जरूर
करिए..
माँ के लफ्ज-
मेरे लल्ला ! तेरे जैसे बेटों पे माँ बलिहारी है,,
अपनी ममता से भी ज्यादा, मुझे देश की इज्जत
प्यारी है,,
मैं खुश हूँ कि तेरे कारण, कितने ही घर गुलजार
हुए,,
जिस ममता से पाला तुझको,अब ख़त्म वो सब
उपकार हुए,,
तकलीफ ये है भारत माँ पर , न्यौछावर करने
की खातिर,,
क्यों एक हुआ बेटा मेरा, क्यों ना बेटे दो- चार
हुए,,
अब तेरी जीत का जश्न करूँ, तेरी माँ की ये
तैयारी है,
अपनी ममता से भी ज्यादा, मुझे देश की इज्जत
प्यारी है!
लड़ रहा होता है.. उसे गोली लग
जाती है..उसकी आँखें मुंदने लगती है.. तभी उसे
अपनी बूढ़ी, अकेली माँ का ख्याल आता है..
-> वो माँ को ख़त लिखता है..क्या लिखता है
जरा गौर करें---
ऐ माँ किस मुंह से तुझको मैं,अपनी हालत
को बतलाऊँ,,
इतनी भी साँस नहीं बाकी, कि तुझे अलविदा
कह
पाऊँ,,
भारत माँ पर हथियार उठे, तो बेटा चुप न रह
पाया,,
जब तक थी साँस , नहीं आगे कोई भी दुश्मन
टिक
पाया,,
जाते जाते इक बात ,मेरे दिल में
थोड़ी सी चुभती हैं,,
कि देश का कर्ज किया पूरा, पर दूध का कर्ज
न
भर पाया,,
इक माँ की लाज बचाने में, इक माँ को दर्द न दे
जाऊँ,,
इतनी भी साँस नहीं बाकी, कि तुझे अलविदा
कह
पाऊँ,,
- > ख़त माँ को मिलता है.. वो उसे पढ़ती है
पर
एक आँसू आँख में नहीं लाती..
माँ क्या कहती है आप पढ़िए.. और उस महान,
बलिदानी माँ के लिए एक share जरूर
करिए..
माँ के लफ्ज-
मेरे लल्ला ! तेरे जैसे बेटों पे माँ बलिहारी है,,
अपनी ममता से भी ज्यादा, मुझे देश की इज्जत
प्यारी है,,
मैं खुश हूँ कि तेरे कारण, कितने ही घर गुलजार
हुए,,
जिस ममता से पाला तुझको,अब ख़त्म वो सब
उपकार हुए,,
तकलीफ ये है भारत माँ पर , न्यौछावर करने
की खातिर,,
क्यों एक हुआ बेटा मेरा, क्यों ना बेटे दो- चार
हुए,,
अब तेरी जीत का जश्न करूँ, तेरी माँ की ये
तैयारी है,
अपनी ममता से भी ज्यादा, मुझे देश की इज्जत
प्यारी है!
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