एक महान आदमी एक प्रतिष्ठित आदमी से इस तरह से अलग होता है कि वह समाज का नौकर बनने को तैयार रहता है
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लोग और उनके धर्म सामाजिक मानकों द्वारा; सामजिक नैतिकता के आधार
पर परखे जाने चाहिए . अगर धर्म को लोगो के भले के लिए आवशयक
मान लिया जायेगा तो और किसी मानक का मतलब नहीं होगा .
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हर व्यक्ति जो मिल के सिद्धांत कि एक देश दूसरे देश पर शाशन
नहीं कर सकता को दोहराता है उसे ये भी स्वीकार करना चाहिए कि
एक वर्ग दूसरे वर्ग पर शाशन नहीं कर सकता .