जब से दुनिया में आया है दुख ही तेरा साया है
एक नजर देख जालिम मीत पुराना आया है
अपने भी, पराए भी सबने हमें रुलाया है
जीवन भी एक दुख ही है इश्क में दुख ही पाया है
दर्द से मेरे दिल का रिश्ता तुमसे भी कुछ ऐसा ही था
दिल में कितने गुलाब खिले जब मन उलझा कांटों में था
कितने दुख सहे तेरे इश्क में इससे अच्छा तन्हा ही था
जब टूटा था घर ये मेरा दीवारों संग आईना भी था
Khamosh ho chuki hai zubaan jab se tum gaye ho
Meri aankhon mein toote hue sapne kuch de gaye ho
Unhi sapno mein ab zindagi ki guzzar karta hoon
Us khawab ko toda nahin jab se tum gaye ho.