दुःख दे दर्द दे, दिल में रखे या दुआओं में रखे,
वही हाल अछा है मेरा यार मुझे जिस हाल में रखे ।
मुझको अच्छा नहीं लगता कोई हमनाम तेरा,
कोई तुझसा हो, तो फिर नाम भी तुझसा रक्खे ।
वही हाल अछा है मेरा यार मुझे जिस हाल में रखे ।
मुझको अच्छा नहीं लगता कोई हमनाम तेरा,
कोई तुझसा हो, तो फिर नाम भी तुझसा रक्खे ।
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दुःख दे दर्द दे, दिल में रखे या दुआओं में रखे,
वही हाल अछा है मेरा यार मुझे जिस हाल में रखे ।
मुझको अच्छा नहीं लगता कोई हमनाम तेरा,
कोई तुझसा हो, तो फिर नाम भी तुझसा रक्खे ।
दिल भी पागल है के उस शख़्स से वाबस्ता है,
जो किसी और का होने दे ना अपना रक्खे ।
उम्र भर कौन निभाता है ताल्लुक़ इतना,
ऐ मेरी जान के दुश्मन तुझे अल्लाह रक्खे ।
वही हाल अछा है मेरा यार मुझे जिस हाल में रखे ।
मुझको अच्छा नहीं लगता कोई हमनाम तेरा,
कोई तुझसा हो, तो फिर नाम भी तुझसा रक्खे ।
दिल भी पागल है के उस शख़्स से वाबस्ता है,
जो किसी और का होने दे ना अपना रक्खे ।
उम्र भर कौन निभाता है ताल्लुक़ इतना,
ऐ मेरी जान के दुश्मन तुझे अल्लाह रक्खे ।
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मैं ख़ामोशी तेरे मन की, तू अनकहा अलफ़ाज़ मेरा.
मैं एक उलझा लम्हा, तू रूठा हालात मेरा.
मैं रंग शर्बतों का, तू मीठे घाट का पानी.
कुछ आगे भी बढ़नी चाहिए तेरी मेरी कहानी.
मैं एक उलझा लम्हा, तू रूठा हालात मेरा.
मैं रंग शर्बतों का, तू मीठे घाट का पानी.
कुछ आगे भी बढ़नी चाहिए तेरी मेरी कहानी.
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किसी को तकलीफ देना मेरी आदत नही,
बिन बुलाया मेहमान बनना मेरी आदत नही...!
मैं अपने गम में रहता हूँ नबाबों की तरह,
परायी खुशियो के पास जाना मेरी आदत नही...!
सबको हँसता ही देखना चाहता हूँ मै,
किसी को धोखे से भी रुलाना मेरी आदत नही...!
बांटना चाहता हूँ तो बस प्यार और मोहब्बत,
यूँ नफरत फैलाना मेरी आदत नही...!
जिंदगी मिट जाये किसी की खातिर गम नही,
कोई बद्दुआ दे मरने की यूँ जीना मेरी आदत नही...!
सबसे दोस्त की हैसियत से बोल लेता हूँ,
किसी का दिल दुखा दूँ मेरी आदत नही...!
दोस्ती होती है दिलों से चाहने पर,
जबरदस्ती दोस्ती करना मेरी आदत नही..!
बिन बुलाया मेहमान बनना मेरी आदत नही...!
मैं अपने गम में रहता हूँ नबाबों की तरह,
परायी खुशियो के पास जाना मेरी आदत नही...!
सबको हँसता ही देखना चाहता हूँ मै,
किसी को धोखे से भी रुलाना मेरी आदत नही...!
बांटना चाहता हूँ तो बस प्यार और मोहब्बत,
यूँ नफरत फैलाना मेरी आदत नही...!
जिंदगी मिट जाये किसी की खातिर गम नही,
कोई बद्दुआ दे मरने की यूँ जीना मेरी आदत नही...!
सबसे दोस्त की हैसियत से बोल लेता हूँ,
किसी का दिल दुखा दूँ मेरी आदत नही...!
दोस्ती होती है दिलों से चाहने पर,
जबरदस्ती दोस्ती करना मेरी आदत नही..!